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''माँ'' माँ ही किसी भी बच्चे की

''माँ'' माँ ही किसी भी बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है। अतः माँ ही किसी भी बच्चे को स्वरों एवं व्यंजनों का बोध कराती है। माँ ही किसी भी बच्चे को वर्णमालाओं का उच्चारण करना सीखाती है। माँ की गोद में ही बच्चा अच्छे-बुरे का अंतर समझ पाता है। माँ से ही कोई...

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पशुपतास्त्र मंत्र साधना एवं

पशुपतास्त्र मंत्र साधना एवं सिद्धि ब्रह्मांड में तीन अस्त्र सबसे बड़े हैं। पहला पशुपतास्त्र, दूसरा नारायणास्त्र एवं तीसरा ब्रह्मास्त्र। इन तीनों में से यदि कोई एक भी अस्त्र मनुष्य को सिद्ध हो जाए, तो उसके सभी कष्टों का शमन हो जाता है। उसके समस्त कष्ट...

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