''माँ'' माँ ही किसी भी बच्चे की
''माँ'' माँ ही किसी भी बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है। अतः माँ ही किसी भी बच्चे को स्वरों एवं व्यंजनों का बोध कराती है। माँ ही किसी भी बच्चे को वर्णमालाओं का उच्चारण करना सीखाती है। माँ की गोद में ही बच्चा अच्छे-बुरे का अंतर समझ पाता है। माँ से ही कोई...